रुल्याणी का ऐतिहासिक दिन रहा,चुना बाबा मूर्ति की स्थापना
8 सितम्बर 2024 का दिन सीकर जिले के नेछवा उपखण्ड की ग्राम पंचायत रूल्याणी के लिए बेहद अलग था।रूल्याणी का नाम सुनते ही एक नाम हर व्यक्ति की जुबा पर आता हैं और वो श्री चुन्ना बाबा। बस हम उसी आध्यात्मिक संत की बात करने जा रहे हैं। मेघवंश की धानिया जाति में चौखाराम जी के घर में जन्में चुन्ना बाबा बचपन से अलग मिजाज के व्यक्ति थे।उनके साथ रहे वो लोग जो आज भी जीवित हैं वो बताते है कि मनुष्य के रूप में होते हुए भी बाबा के पास रोग निदान की शक्ति थी और बाबा झाड़ा फुक के माध्यम से लोगो को ठीक कर देते थे।बताया जाता कि बाबा ने 1978 में हिंदी मासिकनुसार आशिवन महीने में शुक्ल बदी दूज,सोमवार को जीवित समाधि ली।लोग बताते हैं कि समाधि से कुछ दिन पूर्व बाबा का स्वास्थ्य गिरा हुआ था।और बाबा ने अपने नजदीकी लोगों को बता दिया था कि वो कुछ दिन बाद जीवित समाधि के रूप में हमेशा के लिए आध्यात्मिक शक्ति के रूप में लीन होने वाले है।बेहद प्रमुख लोग आज भी बताते हैं किसी ने उनकी इस बात पर गौर ही नहीं किया। साथ ही जिस दिन बाबा समाधि लेने वाले थे उस दिन भी बाबा ने ग्रामीणों को इस बात के अगाह किया था।लेकिन लोग कहते है कि कुछ ग्रामीणों ने जाति सूचक नुक्ताचीनी कर उनकी बात को अनदेखा कर दिया था।ग्रामीणों ने अपने बच्चोँ को खेतो में भेज दिया था ।लेकिन बाबा अपने वचनानुसार समय से पहले की ईंटो का वर्गाकार समाधिस्थल की व्यवस्था कर चुके थे।लगभग सवा तीन बजे बाबा ने कुछ ग्रामीणों की मौजूदगी में समाधि ले ली।समाधि के समय मौजूद लोग आज भी बताते हैं कि बाबा ने समाधि से कहा था कि कोई भी विषधारी जीव काटने पर कोई भी मनुष्य मेरे नाम की मिट्टी(भभूति) बा लगा लगा तो उसका विष तुरंत उतर जायेगा।इसके अलावा मेरे गांव में कभी प्राकृतिक आपदा से जन हानि नहीं होंगी।गौरतलब है कि रूल्याणी ही नही इस दुनिया में बाबा के भक्त जहा भी है वहां बाबा के नाम से कष्ट का निदान हो जाता है।और अनगिनत लोगों का विषधारी जीवों के काटने के बाद भी बाबा के नाम से ही इलाज हुआ है।समाधि लेने के बाद जिसने भी ये सुना वो हैरान रह गया और अंतिम दर्शन न करने की वजह से अपने आप को कोसता रहा। इसके अलावा बाबा में आस्था रखने वाले भक्तो की बात करें तो राजस्थान के सम्पूर्ण जिलो के अलावा बाहर के राज्यों से भी है। सीकर,चूरू,झुंझुन और नागौर जिलों के लोग बाबा मे बेहद गहरी आस्था रहते हैं ।और साथ ही हर वर्ष एक आशिवन महीने की शुक्ल बदी दूज को विशाल मेला देखने को मिलता हैं।पूर्व रात्रि में भजन संध्या और अगले दिन में भारी भक्तों की भीड़ के साथ मेले का दृश्य बेहद निराला होता हैं।आस पास के गाँवो और कस्बों मे शैक्षिणिक संस्थानों के निदेशक भी अपने यहाँ अवकाश रखकर पूर्ण सहयोग करते है।इनके अलावा जिले की पुलिस प्रशासन की भी व्यवस्था चाक चौबन्ध रहती है ।आस पास के गाँवो की युवा तरुणाई भी व्यवस्था बनाने मे अपना सम्पूर्ण योगदान करती है।आज यह मेला सीकर जिले के बेहद महत्वपूर्ण मेलो की श्रेणी में आता हैं।गाँव में जो यह मेला लगता हैं यदि मेले में आये दुकानदारो की बात करे तो आश्चर्य इस बात का होता हैं कि सम्पूर्ण देश कोनो से ये लोग कैसे कैसे यहाँ पहुंच जाते हैं ।और बहुत अच्छा लाभ कमा कर ले जाते हैं ।आज गाँव के श्री रामदेव सिंह धानिया ने बाबा की भौतिक रूप में मूर्ति बनवाकर सांगलिया धूनी के महामंडेलश्वर् ओम दास महाराज व बोदलासी के संत पंचमनाथ महाराज के कर कमलों से मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम करवाया गया। 18 सितंबर 2024को रात्रि में भजन संध्या और 19 सितंबर 2024 को दिन में बाबा के मंदिर में धौक लगाने का कार्यक्रम होगा।आभार:-संदीप कुमार मील, रुल्याणी
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